tag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post7127651537808861499..comments2023-09-27T04:35:39.057-07:00Comments on अ-शब्द: बापू की कामांधता ने ले ली उनके पिता की जानAkhileshwar Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/10881251799462130074noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-75866060112715786452009-05-04T13:20:00.000-07:002009-05-04T13:20:00.000-07:00बंधु
बचपन में मैंने एक प्रेरक कथा पढ़ी थी। गांधीज...बंधु <br />बचपन में मैंने एक प्रेरक कथा पढ़ी थी। गांधीजी के बारे में। उसमें एक वृद्धा गांधीजी के पास आती है। और उनसे कहती है कि वे उसके पोते को गुड़ खाने से मना करे। गांधीजी मना कर देंगे तो बच्चा गुड़ नहीं खाएगा। गांधीजी कुछ हफ्तों तक उसे टालते रहे। एक दिन कह दिया, बेटा गुड़ मत खाया करो। फिर बताया कि अब तक मैं खुद ही गुड़ खा रहा था सो बच्चे को कैसे मना करता। <br /><br />मुझे नहीं लगता कि आपने गांधीजी के लेवल में सोचा भी होगा। हो सकता है मैं तल्ख हो गया हूं। लेकिन जब तक आप खुद उस स्तर पर न पहुंचे तक तक टिप्पणी करने या विचार को ठोस रूप में प्रस्तुत करने का क्या अभिप्राय है। <br /><br />केवल हलचल पैदा करना... तो ठीक है। <br /><br /><br />वरना आप गलती कर रहे हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-24419760883399909102009-05-04T09:11:00.000-07:002009-05-04T09:11:00.000-07:00शीर्षक आपत्तिजनक है । इस घटना का ज़िक्र स्वंय बापू ...शीर्षक आपत्तिजनक है । इस घटना का ज़िक्र स्वंय बापू ने अपनी पुस्तक ”सत्य के प्रयोग“ में किया है । लेकिन यहां पर बात को नमक मिर्च लगा कर प्रस्तुत किया गया है । जिसका एक मात्र मकसद उक्त पुस्तक ”गांधी और उनकी महिला मित्र“ का गलत तरीके से प्रचार करना है । कमजोरियां हर इंसान में होती हैं, लेकिन महात्मा गांधी हजारों साल मंे सिर्फ एक ही पैदा होते है । बापू की जीवनी से हमे सबक लेना चाहिए कि उनके जैसा कमजोर, शर्मीला और संकोची इंसान भी देश का भाग्य निर्माता और राष्ट्रपिता बन सकता है । जितना पुरूषार्थ और त्याग बापू ने देश के लिए किया था उसका अगर हम एक प्रतिशत भी कर दें तो आज भारत विश्व का सबसे अमीर और शक्तिशाली राष्ट्र बन जाये । बापू के ऊपर भद्दी टिप्पणियां करने से उनका तो कुछ नहीं बिगडे़गा, हाॅं टिप्पणी करने वाले की बौद्धिक क्षमता पर जरूर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा ।K M Mishrahttp://kmmishra.wordpress.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-26903517460144244462009-05-03T01:09:00.000-07:002009-05-03T01:09:00.000-07:00लिखते रहिए, पढ़ते हम रहेंगे..वादा रहा आपसे. क्यों ल...लिखते रहिए, पढ़ते हम रहेंगे..वादा रहा आपसे. क्यों लिखने का ढंग प्यारा है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-39788289488397934152009-05-01T11:58:00.000-07:002009-05-01T11:58:00.000-07:00ज्ञान जी बच्चन जी ने भी कुछ खोला है याद होगा
सादर...ज्ञान जी बच्चन जी ने भी कुछ खोला है याद होगा <br />सादरबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-5145231066952955112009-05-01T11:57:00.000-07:002009-05-01T11:57:00.000-07:00मेरा मत स्पष्ट है कि बापू बिलकुल दुखी थे इस घटना ...मेरा मत स्पष्ट है कि बापू बिलकुल दुखी थे इस घटना से सब जानते है किन्तु अब जब बापू के स्वयं स्वीकारे अपराध बोध को बाई साहब ने जिस शीर्षक से पेश किया वो तरीका अखबारी अथवा रीडरशिप बढाने वाला एक नुस्खा मात्र है रहा मेरा कथन उसे बिलकुल अन्यथा न लीजिए सच ब्लॉग इन्हीं नुस्खों से बचाते हुए विचार विमर्श का ज़रिया बनें मेरी सोच है . फिर आप जो उचित समझें मुझे कोई हक नहीं <br />क्षमा याचना के साथ बता दूं "बापू हत्यारे नहीं थे न ही उनके लिए ऐसे शीर्षकों के आलेख लिखे जाने चाहियें शीर्षक भ्रमित कर रहा है इसे स्वीकारना ही होगा "बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-89419227567415689872009-05-01T07:38:00.000-07:002009-05-01T07:38:00.000-07:00बापू ने स्वयं बताया। यहां तो लोग बाप का गला दबा कर...बापू ने स्वयं बताया। यहां तो लोग बाप का गला दबा कर तीर्थ करते हैं! <br />बापू का जीवन खुली किताब है - कितने लोग अपना सब कुछ खोल कर रखने का साहस करते हैं!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-45092356376321632192009-05-01T05:33:00.000-07:002009-05-01T05:33:00.000-07:00निश्चित ही शीर्षक आपकी सोच का परिणाम न होगा किन्तु...निश्चित ही शीर्षक आपकी सोच का परिणाम न होगा किन्तु भ्रमित करता है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-48474783181077095502009-05-01T05:07:00.000-07:002009-05-01T05:07:00.000-07:00क्या हुआ और क्या नहीं; ये तो मुझे आपके आलेख (पुस...क्या हुआ और क्या नहीं; ये तो मुझे आपके आलेख (पुस्तक अंश) से ही पता चला। अल्पज्ञानी हूं मैं। लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा कि हजम नहीं हो रहा और लेखन में मिर्च-मसाला हो तो प्रकाशक और लेखक के लिए फायदा ही फायदा।हरिhttp://irdgird.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-18454176783592638012009-05-01T04:24:00.000-07:002009-05-01T04:24:00.000-07:00प्रिय भाई बेगाणीजी,
मेरा उद़देश्य बापू को बदनाम क...प्रिय भाई बेगाणीजी,<br />मेरा उद़देश्य बापू को बदनाम करना नहीं, उनके उस पक्ष को उजागर करना है जिसे शायद कम ही लोग जानते हैं। यह कितनी बडी बात है कि इतना सब के बाद भी वे राष्ट्रपिता बने। भारत के बाहर भी उनके कद्रदानों की संख्या विश्व के कुछ गिने-चुने महापुरुषों में से है। ऐसी बातें हमारी नई पीढी के लिए कितनी जरुरी हैं जो जरा सी बात पर कुंठा का शिकार हो जाती हैं। हम अपनी गलतियों, अवगुणों को पहचाने बिना उस पर काबू नहीं पा सकते। और महान तो वही होते हैं जो अपनी गलतियों को स्वीकार करें। इसीलिए आज तक दूसरा कोई 'बापू'पैदा नहीं हुआ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-75386298810846065872009-05-01T03:24:00.000-07:002009-05-01T03:24:00.000-07:00जहाँ तक मुझे ज्ञात है, गाँधीजी को इस बात का अपराध ...जहाँ तक मुझे ज्ञात है, गाँधीजी को इस बात का अपराध बोध रहा कि वे अंतिम समय में पिता के पास नहीं थे. वे पिता को बचा लेते ऐसा नहीं लगता. <br /><br />अगर आदमी खाना खा ले तो उसे खाना याद नहीं आता और वह दुसरे काम तनमयता से कर सकता अहि, और भूखा रहे तो केवल खाना याद आता है. यहीं गाँधीजी से भूल हुई. नाहक काम से लड़ना...स्वस्थ सेक्स में क्या बूराई है?संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-90975989963891883322009-05-01T02:23:00.000-07:002009-05-01T02:23:00.000-07:00ये बातें तो कई बार पढ़-सुन चुका हूँ, लेकिन आपका यह...ये बातें तो कई बार पढ़-सुन चुका हूँ, लेकिन आपका यह रिसर्च नया है- बाप का जान लेने वाली।शैलेश भारतवासीhttp://www.hindyugm.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-62727925187426733392009-05-01T02:21:00.000-07:002009-05-01T02:21:00.000-07:00ब्लागर साथियों,
यह शीर्षक मेरी सोच का परिणाम नहीं...ब्लागर साथियों,<br />यह शीर्षक मेरी सोच का परिणाम नहीं है, बल्कि अपने पिता की मौत के बाद बापू ने जिस कलंक का जिक्र किया है और उन्होंने जिस अपराधबोध का अनुभव किया, उसका परिणाम है। क्योंकि वे खुद इसके लिए अपने को दोषी मानते रहे। आशा है आप सभी सहमत होंगे।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-22918224452159690872009-05-01T02:15:00.000-07:002009-05-01T02:15:00.000-07:00शीर्षक पर मेरी भी आपत्ति है। पर स्वयं गांधी जी ऐसा...शीर्षक पर मेरी भी आपत्ति है। पर स्वयं गांधी जी ऐसा समझते थे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-15624140443598958292009-05-01T02:01:00.000-07:002009-05-01T02:01:00.000-07:00ये heading गलत है क्या गांधी जी अगर अपने पिता जी क...ये heading गलत है क्या गांधी जी अगर अपने पिता जी की मालिश करते तो उसनकी मौत नाही होती.........Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-79689691189573280602009-05-01T01:46:00.000-07:002009-05-01T01:46:00.000-07:00choonki aap ise aage bhee jaaree rakhenge to kripa...choonki aap ise aage bhee jaaree rakhenge to kripayaa kewal mere etaraz ko dhyan men rakhie . <br />pun: kshama prarthana ke saath aapaka <br />mukulबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-37522703470827052302009-05-01T01:44:00.000-07:002009-05-01T01:44:00.000-07:00Alekh ke sheershak se aapatti hai
shesh sab theek...Alekh ke sheershak se aapatti hai <br />shesh sab theek hai. vastav men mrityu <br />kaa honaa tayshuda hai is baat se sahmat honge baapu ke bare men is sheershak se uthane vale vivad ko rokiye meree salah hai sheersha badalne kee .girja kumar ji kee pustak ke bare men bahut suna hai sahee bhee ho to bhee mujhe lagataa hai kitaaben vyavsaay ke liye likhi jaaji hai isakaa jeeta jagata udaharan KHUSHAVANT SINGH JI hai. <br /><br />aasha hai mujhe kshama karenge <br />saadarबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-761147824630124209.post-47073020302219733642009-05-01T01:18:00.000-07:002009-05-01T01:18:00.000-07:00अच्छा प्रयास है... बनाए रखें..
- पृथ्वीअच्छा प्रयास है... बनाए रखें..<br />- पृथ्वीAnonymousnoreply@blogger.com