पहले पहल जापानी सभ्यता पर पश्चिम का प्रभाव सिर चढकर बोला था लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी के हादसे के बाद जापान ने अपनी परंपराएं खुद गढी हैं। उन्हीं में शामिल है स्वस्थ दिनचर्या। जापान में या तो फास्ट ट्रेनें चलती हैं या लोग पैदल चलते हैं।
जापानी लोग अपने दिन की शुरुआत बडे ही सलीके से करते हैं। एक्टिव लाइफस्टाइल यहां के लोगों के सोने में भी है और जागने में भी। दिन का शुभारंभ दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद पैदल चलने से होता है। कामकाजी लोग रेलवे स्टेशन तक और बुजुर्ग बागों की ओर पैदल निकल पडते हैं। जापान में फर्क नहीं पडता कि कंपनी का सीइओ ट्रेन से जा रहा है और चपरासी कार से आफिस पहुंच रहा है। धुन के पक्के यहां के लोग पैदल चलने में जरा भी शर्म महसूस नहीं करते।
जापान के लोगों के काम करने का ढंग इतना व्यवस्थित और त्रुटिरहित है कि आज दुनिया के कई देशों और मशहूर कंपनियों ने जापानी माडल को अपनाया है। एक समान यूनीफार्म पहनना, हर लक्ष्य को जोश के साथ समय से पहले पूरा करने की कोशिश जापानी विशेषताएं हैं। कम खाने, कम बोलने और कम सोने में उसका भरोसा है।
जीने के लिए खाना - जापान के लोग खाने के लिए कम और जीने के लिए ज्यादा खाते हैं। वे खाने में स्वाद के बजाय सेहत ज्यादा ढूंढते हैं। खाने में कच्चापन जापान की विशेषता है। वे तले-गले और मसालेदार खाने से परहेज करते हैं। ज्यादा जीना है तो कम खाओ जापानी लोगों के व्यवहार का सबल पक्ष है। उनकी सक्रियता और स्फूर्ति का भी यही राज है कि वे उतना ही खाते हैं जितना शरीर की जरुरत है। जीभ की जरुरत के हिसाब से खाना जापान में ठीक नहीं माना जाता।
पशुओं के मांस से परहेज - मांसाहार और महंगे और गरिष्ठ रेड मीट के बजाय ताजा और मछली खाना जापानियों की सेहतमंदी का खास राज है। वे मछली को ज्यादा पकाने या मसालों में लपेटने के बजाय उसे कच्चा व कम पकाकर खाते हैं।
औषधीय उलांग चाय - जापानियों के खान-पान और सेहतमंदी का सबसे खास राज है उलांग चाय। यह हरी चाय है जो चीन और जापान में सेहत के लिए बेहद अच्छी मानी जाती है। इसे ठंडे और गर्म पेय के रूप में पिया जाता है। यह पाचन तंत्र के लिए भी अच्छी होती है।
ये कुछ ऐसी बाते हैं जिससे हम भी प्रेरणा ले सकते हैं और अपनी जिंदगी को खुशहाल और स्वस्थ बना सकते हैं।