दोस्तों जोहार.
मेरठ से जमशेदपुर आ गया हूं. झारखंड की औधोगिक राजधानी. उर्फ टाटानगरी. यहां आकर और प्रभात खबर से जुड़कर अच्छा लग रहा है. आपन माटी, आपन बोली, आपन लोग. खुश हूं.
कुछ-कुछ अंतर है मेरठ और जमशेदपुर में. बोली-विचार, रहन-सहन, खान-पान. हर चीज थोड़ा अलग सा है यहां. यहां की पत्रकारिता का कल्चर भी वहां से काफी अलग है. कुछ अलग सीखने और समझने का अवसर मिल रहा है.
एक बात जो अब तक समझ में आई है वह यह कि मेरठ के बारे में मशहूर है- यह अलग मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो. जबकि जमशेदपुर में मुझे लगता है कि हर कोई आपसे मिलना चाहता है, आपके बारे में जानना चाहता है, अपने बारे में बताना चाहता है-दिल खोलकर. है न कितना कुछ अंतर दोनों शहरों में.
मेरा आशय मेरठ को कमतर दिखाने या बताने का कतई नहीं है. मेरठ ने मुझे काफी कुछ दिया है. वहां मैंने जिंदगी और कैरियर के महत्वपूर्ण वर्ष बिताये हैं. आज भी वहां मेरे कई करीबी और अजीज दोस्त हैं जिनसे बात किये बिना मुझे चैन नहीं मिलता. मेरठ के गुड़ और गजक की मिठास के साथ-साथ वहां की मीठी यादें भी मेरे साथ सदा ही रहेगी. फिलहाल तो जमशेदपुर में लिट्टी-चोखा और चना-चबेना का स्वाद ले रहा हूं. अपनों के साथ-सपनों के साथ. फिलहाल इतना ही...