शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

चार्ल्स की चाहत पर सवाल

धारावी। हो सकता है कि तीन अक्षर के नाम वाली इस झुग्गी बस्ती से आप भी वाकिफ हों। वैसे पूरी दुनिया में यह नाम चर्चित है। हाल ही में आस्कर पुरस्कारों की दस श्रेणियों में नामांकित फिल्म स्लमडाग मिलियनेयर ने इस नाम को और ख्याति दे दी है। अब यही धारावी पूरी दुनिया के लिए आदर्श बस्ती बताई जा रही है। ब्रिटेन की राजगद्दी के वारिस प्रिंस चाल्र्स ने पूरी दुनिया को धारावी बनाने की वकालत की है।बृहस्पतिवार को फाउंडेशन फार द बिल्ट इनवायरमेंट द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के दौरान राजकुमार चाल्र्स ने दुनिया में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए पश्चिम की वास्तुकला के मुकाबले धारावी जैसी बस्तियों को आदर्श बताया। राजकुमार चार्ल्स की यह संस्था कई गरीब और पिछड़े देशों में स्थानीय लोगों के साथ मिलकर झुग्गी बस्तियों को नया रूप देती है।इस सम्मेलन में राजकुमार चाल्र्स के साथ मौजूद नेशनल स्लम ड्वेलर्स फेडरेशन आफ इंडिया के संस्थापक जाकिन अरपुथम ने फिल्म स्लमडाग मिलियनेयर पर चुटकी लेते हुए कहा कि मैं झुग्गी झोपड़ी का रहने वाला हूं न कि एक स्लमडाग। धारावी के एक हिस्से पर बहुमंजिली इमारतें बनाने के बिल्डरों के प्रयास को नाकाम करने वाले अरपुथम ने कहा कि कई विकासशील देश पश्चिमी देशों को आदर्श के रूप में देखते हैं, लेकिन यह हकीकत नहीं है।

अब बताइए कि.........

क्या चार्ल्स वाकई दुनिया को एक नजर से देख रहे हैं या स्लमडाग... फिल्म के बहाने अपने निहित स्वार्थ (संस्था के प्रचार) की पूर्ति करना चाहते हैं?

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