शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

पिंक पैंटी का चटपटापन

मीडिया जगत में इन दिनों जिन मुद़दों पर खासी बहस चल रही है। मैं यहां उन पर आप सभी का ध्‍यान आकर्षित करना चाहूंगा-
भाग एक - पिंक पैंटी का चटपटापन
श्रीराम सेना ने मंगलौर के पब में जाकर जिस तरह से लडकियों पर बर्बरता दिखायी उसके बाद मीडिया जगत में इस पर खासी बहस छिड गयी है। कोई श्रीराम सेना का समर्थन कर रहा है तो कोई इस घटना को महिला स्‍वतंत्रता का हनन बता रहा है। इसके विरोध में फेसबुक पर बाकायदा एक समुदाय बन चुका है। इस समुदाय ने नैतिकता के इन ठेकेदारों को शर्मसार करने के लिए वैलेंटाइन डे पर गुलाबी चड़ढियां भेजी। इसके जवाब में श्रीराम सेना भी कैसे पीछे रहे उसने भी इसके विरोध में लडकियों को गुलाबी साडी बांटने का फरमान जारी किया। बहरहाल, इस पर चल रही हालिया बहस में कुछ नामी-गिरामी लोगों का बयान पेश है-
फ‍िल्‍मकार अपर्णा सेन - हमारी धार्मिक परंपराओं में कहीं भी विचारों को थोपने का रिवाज नहीं रहा। यहां तक कि प्राचीन भारत में नास्तिकता का भी अपना स्‍थान था। हमारी परंपराओं में विविधता है और यही उसकी ताकत है। नैतिकता का रक्षक खुद को घोषित करना महज बेवकूफी है।
जम्‍मू-कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री फारुक अब्‍दुल्‍ला - लडकियों के साथ मारपीट हमारे कल्‍चर का हिस्‍सा नहीं है। जो लोग परंपरा की बात कर रहे हैं वे नहीं जानते परंपरा क्‍या चीज है।
संघ विचारक गोविंदाचार्य - कुछ परंपराएं पुरानी हो चुकी हैं और आज के समय के हिसाब से उन्‍हें पकडे रहने की जरुरत नहीं है। मुझे नहीं लगता कि उन्‍हें छोडने में कोई समस्‍या होनी चाहिए। दुर्भाग्‍य से आज भी हम कई पुरानी परंपराओं से चिपके हुए हैं। महिलाएं हमारे समाज का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा हैं। बिना राधा कोई कन्‍हैया नहीं हो सकता। बिना सीता के राम वनवासी होते हैं। अर्धनारीश्‍वर में आधा हिस्‍सा महिला है। महिलाओं का सम्‍मान होना चाहिए।
भाग दो - चांद और फ‍िजा
चंद्रमोहन और अनुराधा बाली ने अपने-अपने पद और परिवार को त्‍याग कर और चांद फ‍िजा जैसे नामों के साथ इस्‍लाम और निकाल कबूल किया तो चारों तरफ जैसे सनसनी फैल गयी। बार-बार यह प्रेमी युगल कैमरे के सामने एक-दूसरे के प्रेम और मोहब्‍बत की कसमें देकर साथ जीने-मरने का वादा करता दिखा। किसी फ‍िल्‍मी कहानी की तरह ही इसमें सारे मसाले थे- सियासत, बगावत, मोहब्‍बत, रुलाई, भरोसा आदि। पर यह क्‍या थोडे ही दिनों में इस कहानी में एकता कपूर की सास-बहू मार्का सीरियल की तरह मोड आ गया। वह भी दिलचस्‍प। चांद उर्फ चंद्रमोहन को अपनी पहली पत्‍नी व बच्‍चों की याद सताने लगी और फ‍िजा मैडम नींद की गोलियां खाने लगीं। आज आपको सबकुछ साफ-साफ नजर आ रहा है। जरा इन किरदारों के ओहदों पर नजर डालिए। एक है हरियाणा का उपमुख्‍यमंत्री और भजनलाल का बेटा चंद्रमोहन उर्फ चांद और दूसरा किरदार है हरियाणा की अतिरिक्‍त महाधिवक्‍ता अनुराधा बाली उर्फ फ‍िजां। अब मैडम फ‍िजां अपने चांद को गालियां देते नहीं थक रहीं, वे इस सबसे आगे निकलकर चुनाव भी लडना चाहती हैं। उधर, हमारे चांद मियां बादल की ओट लेने के बजाया विदेश में जा छिपे हैं। प्‍यार करनेवाले खूब जानते हैं कि प्रेम में सिर्फ साहस या दुस्‍साहस से काम नहीं चलता। बल्कि समझ, संवेदना और संजीदगी की जरुरत होती है। जिस प्‍यार में ये चीजें नहीं होती वे प्रेमी नायक नहीं विदूषक बन जाते हैं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

    एक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.

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  2. चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है.

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  3. मेरा खयाल है कि आपको अपने शीर्षक के बारे मे विचार करना चाहिए !

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