सोमवार, 18 जनवरी 2016

जो कहना है मुझे

मुझे इल्म है इस बात का
तुम नहीं जानती कुछ भी
न यह कि 
तुम हो बेहंतहा
खूबसूरत
नाजूक फूलों सी
इठलाती/ इतराती
प्यार की खुशबु फैलाती
अनायास मेरी जिंदगी में
न यह कि
तुम्हारा होना ही
मेरा होना है
तुम्हारी हंसी ही
मेरी मुस्कान
इतना वक्त बीत जाने पर भी
कहां कह पाया मैं
सोचता रहा/ दिलासा देता रहा
खुद को मन ही मन
पर अब नहीं
अब नहीं चुप रहना मुझे
कह देना चाहता हूं
सब कुछ
तुमसे/सिर्फ तुम्हीं से
क्योंकि कहना जरूरी है
न कहना ठीक नहीं
बोल देना जरूरी है
यह जानते हुए भी
बचेगा नहीं कुछ इसके बाद अब
न कहने को/ न सुनने को
हो शायद ऐसा भी
तुम सुन ही न पाओ
जो कहना है मुझे
खो दूं तुम्हें मैं
तो भी कोई बात नहीं
तुम्हारे न होने में भी
होगा तुम्हारा होना
मैं कुछ कहना चाहता हूं
मैं तुम्हें खोना चाहता हूं...

मुझे इल्म है इस बात का
तुम नहीं जानती कुछ भी
न यह कि 
तुम हो बेहंतहा
खूबसूरत
नाजूक फूलों सी
इठलाती/ इतराती
प्यार की खुशबु फैलाती
अनायास मेरी जिंदगी में
न यह कि
तुम्हारा होना ही
मेरा होना है
तुम्हारी हंसी ही
मेरी मुस्कान
इतना वक्त बीत जाने पर भी
कहां कह पाया मैं
सोचता रहा/ दिलासा देता रहा
खुद को मन ही मन
पर अब नहीं
अब नहीं चुप रहना मुझे
कह देना चाहता हूं
सब कुछ
तुमसे/सिर्फ तुम्हीं से
क्योंकि कहना जरूरी है
न कहना ठीक नहीं
बोल देना जरूरी है
यह जानते हुए भी
बचेगा नहीं कुछ इसके बाद अब
न कहने को/ न सुनने को
हो शायद ऐसा भी
तुम सुन ही न पाओ
जो कहना है मुझे
खो दूं तुम्हें मैं
तो भी कोई बात नहीं
तुम्हारे न होने में भी
होगा तुम्हारा होना
मैं कुछ कहना चाहता हूं
मैं तुम्हें खोना चाहता हूं...