मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

पानी उदास है

नानी के बिना कहानी उदास है
रोजगार के बिना जवानी उदास है
टूट गये सपने, उम्मीदें उदास है
मेरे देश की आंख का पानी उदास है

गंगा में चाहे डूबकी लगाओ
महाकुंभ में जाकर जितना नहाओ
रो रही धरती, सुबकता आकाश है
मेरे देश की आंख का पानी उदास है

छिज गया भरोसा हमारा-तुम्हारा
परहित की बातें नहीं हैं गंवारा
पॉलिटिक्स हुई डर्टी, न कोई आश है
मेरे देश की आंख का पानी उदास है

सुखे जलाशय, सुख रही नदियां
पैसों की भूखी है ये देश-दुनिया
क्रिकेट में हो रहा पानी का नाश है
मेरे देश की आंख का पानी उदास है.

मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

सुनो लड़कियों!

दीपा करमाकर (ओलंपिक में क्वालीफ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट) को समर्पित एक कविता.

शोर नहीं
धीमे बोलो
ऊंची आवाज
शोभा नहीं देता तुम्हें
इतना तेज चलने की आदत
ठीक नहीं तुम्हारे लिए

ये क्या
अभी तक रोटी सेंकना भी
सीखा नहीं तुमने
अरे बाप!
आलू के इतने बड़े टूकड़े
कोई पुरुष पसंद नहीं करता

जाओ
गिलास में पानी भरके
बाप-भाईयों को पिलाना सीखो
शरबत, चाय, कॉफी बनाना
अच्छा हुनर है, लुभाने के लिए
यह तो आना ही चाहिए

जींस-टी शर्ट पहनकर
रिश्तेदारों के सामने
आना भी मत कभी
जाओ
सलवार-शूट
साड़ियां पहनना सीखो

जब कोई बोले
'जी' बोलो-हौले से
नजरें झुकी हो
जब कोई हो सामने
मुंह खोलकर हंसना
अच्छा नहीं माना जाता

जाओ, जाकर
करो शिव आराधना
तभी मिलेगा
तुम्हें अच्छा वर
अच्छा दांपत्य चाहिये तो
पूजो भगवान विष्णु को

और ये हर समय
हाथ में मोबाइल
क्या ठीक लगता है तुम्हे?
फेसबुक, वाट्सअप
क्या करना इन सबका
औरत ही रहो तो अच्छा

पढ़ो, नौकरी करो
शादी करो
बच्चे पैदा करो
खूब मेहनत करो
सबको खुश रखो
इतना ही करना है तुम्हें

सुनो लड़कियों!
बचपन से बुढ़ापे तक
यही तो सिखाया जाता है तुम्हें
क्या वाकई
इन सब बातों से
सहमत हो तुम...?