सोमवार, 4 जून 2012

रिश्ते तोड़ रहा फेसबुक?


फेसबुक जैसी तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने आज की दुनिया में क्रांति ला दी है। जीवन के हर स्तर पर इन नेटवर्किंग साइट्स का अहम रोल है। फिर बात चाहे दो दिलों को मिलाने की हो या फिर दुनियाभर में चल रहे आंदोलनों और क्रांतियों की। मगर अब जबकि इंटरनेट पर्सनलाइज्ड हो चुका है यानि आपके साथ हमेशा बने रहने वाले फोन तक पहुंच गया है। ऐसे में इनके साइड इफैक्ट्स भी सामने आने लगे हैं। एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में एक तिहाई रिश्ते सोशल नेटवर्किंग साइट्स की वजह से टूट रहे हैं।

सर्वे में एक पत्नी की शिकायत थी कि उनके पति जब भी ऑफिस से आते थे तो फेसबुक पर लग जाते थे। उनकी चैटींग से वो परेशान थी, जिस वजह से उनके बीच झगड़े होते थे। उन महिलाओं की मानें तो फेसबुक को बंद कर देना चाहिए। फेसबुक से आने वाली जेनरेशन को बहुत प्रॉब्लम होने वाली है।

जबकि पति के मुताबिक मेरे मोबाइल में फेसबुक था जिसपर मैं चैट करता था। मैं अपनी एक महिला दोस्त से चैट कर रहा था। जो मेरी बीवी ने देखा। जिस पर काफी बवाल हुआ। एक महीने तक हमारी बातचीत बंद रही थी। मैंने उस महिला दोस्त को घर बुलाया और उसके बाद ही मामला शांत हुआ।

मुंबई में भी एक रिश्ता टूटने के कगार पर पहुंच गया था। दिन भर ऑफिस में काम करने के बाद शाम को पति घर आता था तो वो बीवी से बातचीत के बजाय अपने फोन में मौजूद फेसबुक के जरिए अपने दोस्तों से चैटिंग करने लगता। जाहिर है बीवी को पति का बर्ताव खटका। लिहाजा, उसने पति का फोन खंगाला तो पाया कि एक महिला से चैट की जा रही थी। लड़की से बातचीत पर पत्नी भड़क गई। मामला फैमिली कोर्ट तक पहुंच गया। फैमिली कोर्ट अगर मामला ना संभालता तो आज इनकी शादी-शुदा जिंदगी तबाह हो चुकी होती।

रिश्ते की डोर बड़ी नाजुक होती है और इसमें गलतफहमी की गुंजाइश बहुत कम है, क्योंकि सोशल नेटवर्किंग साइट गलतफहमी का एक बड़ा जरिया बनता जा रहा है। फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्कींग साइट्स की वजह से दुनिया तो मुठ्ठी मे आ गई लेकिन रिश्तों मे दरार पड़ने लगी। इन साइट्स की वजह से नौबत ये आई है की पराए करीबी होने लगे हैं और करीबी पराए होने लगे हैं।

क्या आपकी राय में यह बात सही है की फेसबुक रिश्ते तोड़ रहा है?


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