मेरे एक अविवाहित मित्र हैं. उन्हें देख कर मुङो खुद पर बड़ी कोफ्त होती है. उनसे जब भी शादी की बात करो, तो बोलते हैं,‘‘अभी तैयारी कर रहा हूं.’’ एक दिन मैंने उनसे पूछ ही लिया. मित्र आखिर इतने वर्षो से आप तैयारी ही कर रहे हो, आखिर यह ‘तैयारी’ है क्या? बोले,‘‘महंगाई का जमाना है. गृहस्थी जमाने के लिए पैसे इकट्ठे कर रहा हूं. पति बनने से पहले करोड़पति तो बन जाऊं.’’ मैं सोच में पड़ गया कि कितना मूर्ख हूं, बिना करोड़पति बने ही पति बन गया. नतीजा सामने है. आटा-दाल के भाव की रोज-रोज की चिंता में सिर के बाल उड़ गये.
अभी इस सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि टीवी पर बिग बी का बहुचर्चित शो कौन बनेगा करोड़पति शुरू हो गया. पत्र-पत्रिकाओं और टीवी चैनलों पर इस कार्यक्रम के धुआंधार प्रचार का मेरी श्रीमती जी पर भयानक असर हुआ है. एक दिन देखा कि जनरल नॉलेज की ढेर सारी पुस्तकें खरीद कर ले आयी हैं. सुबह-शाम जब देखो उसी में डूबी रहती हैं. अक्सर घर के कोने में पड़ा रहनेवाला उपेक्षित अखबार भी उनको भाने लगा. मुङो घोर अचरज हुआ. यह चमत्कार हुआ कैसे? लेकिन यह बदलाव अच्छा भी लगा. सोचा, छोड़ो कम से कम पढ़ने में रुचि तो हुई, वरना पहले तो हमेशा सास-बहू वाले टीवी सीरियल में आंखें गड़ाये रहती थीं.
उस दिन मेरा साप्ताहिक अवकाश था. सुबह के नौ बज रहे होंगे. मेरी बेटी ने मुङो जगाते हुए पूछा, ‘‘हू इज प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया?’’ मैंने करवट बदलते हुए कहा, ‘‘मम्मी के पास जाओ.’’ पर वह डटी रही, बोली-‘‘नहीं पापा, आप ही बताओ.’’ मैंने कहा,‘‘डॉ मनमोहन सिंह.’’ बोली, ‘‘यू आर राइट़ अच्छा अब नेक्स्ट क्वेश्चन..’’ मैंने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा, ‘‘बेटा अभी जाओ, सोने दो.’’ खैर वह चली गयी, पर मेरी नींद गायब हो गयी. थोड़ी देर बाद मैं उठा और आदतन अखबार ढूंढ़ते हुए बालकनी में पहुंचा. इतने में दूसरे कमरे से श्रीमती जी अखबार लहराते हुए निकलीं और लाल-पीला होते हुए सवाल दागा,‘‘सलमान खान की हालिया रिलीज सुपर-डुपर हिट फिल्म टाइगर के डाइरेक्टर का नाम बताओ?’
मुङो झुंझलाहट हुई कि आज सुबह-सुबह मां-बेटी को आखिर हुआ क्या है. सवाल पर सवाल किये जा रही हैं. इतने में श्रीमती जी बरस पड़ीं,‘‘अखबार में नौकरी करने से जिंदगी नहीं चलने वाली. अपने पड़ोसी सिन्हा जी को देखो, कौन बनेगा करोड़पति से 27 लाख जीत कर लौटे हैं. आज से रोज सुबह चाय के साथ अखबार के बदले ये जनरल नॉलेज की किताबें पढ़ना शुरू कर दो. इस सीजन में बिग बी के सामने हॉट सीट पर तुम्हें बैठना ही होगा.’’ उस दिन से कोशिश जारी है, ‘करोड़पति’ बनने की. आप सभी की दुआ चाहिए.
अभी इस सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि टीवी पर बिग बी का बहुचर्चित शो कौन बनेगा करोड़पति शुरू हो गया. पत्र-पत्रिकाओं और टीवी चैनलों पर इस कार्यक्रम के धुआंधार प्रचार का मेरी श्रीमती जी पर भयानक असर हुआ है. एक दिन देखा कि जनरल नॉलेज की ढेर सारी पुस्तकें खरीद कर ले आयी हैं. सुबह-शाम जब देखो उसी में डूबी रहती हैं. अक्सर घर के कोने में पड़ा रहनेवाला उपेक्षित अखबार भी उनको भाने लगा. मुङो घोर अचरज हुआ. यह चमत्कार हुआ कैसे? लेकिन यह बदलाव अच्छा भी लगा. सोचा, छोड़ो कम से कम पढ़ने में रुचि तो हुई, वरना पहले तो हमेशा सास-बहू वाले टीवी सीरियल में आंखें गड़ाये रहती थीं.
उस दिन मेरा साप्ताहिक अवकाश था. सुबह के नौ बज रहे होंगे. मेरी बेटी ने मुङो जगाते हुए पूछा, ‘‘हू इज प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया?’’ मैंने करवट बदलते हुए कहा, ‘‘मम्मी के पास जाओ.’’ पर वह डटी रही, बोली-‘‘नहीं पापा, आप ही बताओ.’’ मैंने कहा,‘‘डॉ मनमोहन सिंह.’’ बोली, ‘‘यू आर राइट़ अच्छा अब नेक्स्ट क्वेश्चन..’’ मैंने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा, ‘‘बेटा अभी जाओ, सोने दो.’’ खैर वह चली गयी, पर मेरी नींद गायब हो गयी. थोड़ी देर बाद मैं उठा और आदतन अखबार ढूंढ़ते हुए बालकनी में पहुंचा. इतने में दूसरे कमरे से श्रीमती जी अखबार लहराते हुए निकलीं और लाल-पीला होते हुए सवाल दागा,‘‘सलमान खान की हालिया रिलीज सुपर-डुपर हिट फिल्म टाइगर के डाइरेक्टर का नाम बताओ?’
मुङो झुंझलाहट हुई कि आज सुबह-सुबह मां-बेटी को आखिर हुआ क्या है. सवाल पर सवाल किये जा रही हैं. इतने में श्रीमती जी बरस पड़ीं,‘‘अखबार में नौकरी करने से जिंदगी नहीं चलने वाली. अपने पड़ोसी सिन्हा जी को देखो, कौन बनेगा करोड़पति से 27 लाख जीत कर लौटे हैं. आज से रोज सुबह चाय के साथ अखबार के बदले ये जनरल नॉलेज की किताबें पढ़ना शुरू कर दो. इस सीजन में बिग बी के सामने हॉट सीट पर तुम्हें बैठना ही होगा.’’ उस दिन से कोशिश जारी है, ‘करोड़पति’ बनने की. आप सभी की दुआ चाहिए.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें