गुरुवार, 23 मई 2013

वो कत्ल करे हैं या करामात करे है...


अपने गांव गया था. एक बस यात्रा में बड़ा ही रोचक अनुभव हुआ. अगर आप गौर करें तो बस यात्रियों की आपस में बातचीत, खलासी-ड्राईवर के संवाद और यात्रा के दौरान तरह-तरह की आवाज से एक खास तरह का कोलाज बन उठता है. महसूस कीजिये..
  एक सवारी-एक सवारी, रोक के..रोक के. चल.. ए.. भाई, ए साइकिल.. उपर..अरे तनिक बैगवा उहां रखिये..हां अरे बच्चा है तो उसे गोद में लेकर बैठिए. टिकस लिया है तो बच्चे का लिया है पूरे का नहीं. सीट पर आप बैठ जाईये. मां जी..हां.कहां जाना है. ऐ रिक्शा.. अरे तोहरी हरामी के आंख.. चांपे चले आवत हउव..
  न दामन पे कोई छींटा/ न खंजर पे कोई दाग/ वो कत्ल करे हैं..या करामात करे हैं..बड़ा शायरी मारत बाड़..कॉलेजवा में इहे पढाई होता है का.. रउरा ना बुझाई ए बाबा..
    ललुवा के रैली फेल हो गइल..ए भाई तनिक गाड़ी साइड होखे द तब थूकिह. हवा इधरे का है. ऐ बाबा तनी होने खसकिये. ए साल सरजू बावन बोना है, सोनालिका भी ठीक है.उपज ठीके है. एक निबंध.. विज्ञान ने हमारे जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन किया है..अब बताओ..आमूल तो आमूल ये चूल क्या है. रोक के..रोक के..उतरना है. ए भाई सामान आगे करो.. आप वहां बईठिये.. अरे तो आधे पर ही बईठो भाई जल्दीऐ पहुंच जाओगे. काहे जल्दीयाये हो. सामान पर जोर मत डालिए..फूटेगा नहीं.. अरे चिंता मत करो..
  पप्पू यादव बाइज्जत बरी..अपने देश में कानून सबके लिए अलग-अलग है.. अरे कानून के किताब में करिया-करिया शब्द का भारी-भारी अर्थ समझना सबके वश में नहीं नू है भाई..सही कह रहे हैं, इ काम खाली वकीले लोग कर सकता है..वह भी पईसा लेकर.. बीड़ी छूआ जाएगा. हाथ उधरे रखिये. कुरता बड़ा कटाह पहिनले बाड़ ससुरारी जात हऊव का..अरे तोहरी बहिन के. इहां काहे भीड़ है भाई..बारात निकलल है का. सीवान के बाबू बजरंगी के यहां परसो बड़ा स्वागत सत्कार हुआ. फायरिंग से पूरा सामियाना फाड़ दिया सब.. साइड होखिये.. बैल हइस का रे..मारेब कि मरिये जइब.
 कमरिया करे लपालप..लॉलीपप लागेलू.. अरे तनी गनवा धीरे बजाइये.. महाराजगंज के उपचुनाव में के जीतेगा एह बार.. जीते केहू लेकिन नीतीश आउर लालू के प्रतिष्ठा दांव पर लागल बा..
  हां भाई. आइये..उतरिए जल्दी..उतर रहे हैं नू. लग रहा है कि हवाई जहाज चला रहे हैं.. ढेर कानून मत बतिआइये..जाइये घरे.. ऐ लल्लन भईया आपका मोबाइल गिर गया..रिक्शा पकड़ के स्टेशन काहे नहीं चले जाते हैं, पैदल त लू मार देगा.. ट्रेनवा में अभी लेट है का..

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2013) के गर्मी अपने पूरे यौवन पर है...चर्चा मंच-अंकः१२५४ पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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