भाजपाइयों के नाथ, श्री राजनाथ सिंह जी
इस नाचीज का अभिवादन स्वीकार करें. सुना है कि आपने पिछले दिनों उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ और बलिया में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए अपनी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को देश की हर समस्या का समाधान बताते हुए कहा, ‘‘जिस तरीके से लोग बुखार और दर्दनाशक दवा के रूप में क्रोसीन का इस्तेमाल करते हैं उसी तरह देश की समस्याओं के समाधान के लिए लोगों को ‘मोदीसीन’ दवा का इस्तेमाल करना होगा. ‘मोदीसीन’ की एक खुराक ही सारी समस्या का इलाज कर देगी.’’ सर्वप्रथम तो आपको इस नयी खोज के लिए ढेरों बधाइयां. हां, अगर आप यह भी बता देते कि यह खोज आपने खुद की या इसमें किसी और (विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने भी आपकी मदद की, तो अच्छा होता. फिर भी बधाई तो बनती है. अब बात मुद्दे की. अगर मेरा ‘अल्प-ज्ञान’ सही है तो आपका यह बयान जनसभा में उपस्थित लोगों को आश्वस्त करने के लिए नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी का महिमामंडन करने के लिए था. खैर, इसमें किसी को (सिवाय चुनाव आयोग के) ऐतराज क्यों होगा कि आप अपनी जनसभा में क्या बोलें और क्या न बोलें. फिर भी इस देश का आम नागरिक होने के नाते यह बंदा आपसे यह तो जानने का हक रखता ही है कि आपने या आपकी पार्टी भाजपा ने जिस ‘मोदीसीन’ की ईजाद की है वह किन-किन बीमारियों में असर करेगी. क्योंकि इन दिनों आपकी ही पार्टी के कई लोग ‘मोदियाबिंद’ से ग्रस्त हैं तो कइयों को ‘नमोनिया’ हो गया है. क्या इसका इस्तेमाल हताशा-निराशा से उबरने में भी हो सकता है? शायद 16 मई के बाद आपकी ही पार्टी के कई प्रत्याशियों को इसकी जरूरत पड़े. और हां, दरकिनार कर दिये गये भाजपा के कई सीनियर सिटीजन कैटेगरी के नेता इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय का चक्कर काट रहे हैं. राजनाथ जी, आप तो अध्यापक रहे हैं और कई दशकों से राजनीति में हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि अपनी पार्टी के इन नेताओं के बारे में भी सोचिये. आपकी पार्टी के ‘अच्छे दिन’ आयेंगे कि नहीं, यह तो 16 मई को मालूम चल जायेगा, पर इन बुजुर्गो के बचे-खुचे दिन ‘बदतर’ न हों, इसकी चिंता कौन करेगा? और हां, अगर आपको ऐतराज न हो तो एक सुझाव है- इस ‘मोदीसीन’ का पेटेंट अवश्य करा लीजिए. वरना कहीं अमेरिका की नजर इस पर पड़ गयी, तो क्या होगा, आपको पता ही है. अमेरिका जब हमारी हल्दी और नीम तक का पेटेंट करा सकता है, तो इस स्वदेशी ‘मोदीसीन’ को किसी सूरत में नहीं छोड़ेगा. इसलिए सब काम छोड़ कर पहले पेटेंट देनेवाले दफ्तर पहुंचिए.
उम्मीद है कि आप मेरी बातों को अन्यथा न लेंगे. धन्यवाद.
-एक (निचुड़ा हुआ) आम नागरिक
इस नाचीज का अभिवादन स्वीकार करें. सुना है कि आपने पिछले दिनों उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ और बलिया में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए अपनी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को देश की हर समस्या का समाधान बताते हुए कहा, ‘‘जिस तरीके से लोग बुखार और दर्दनाशक दवा के रूप में क्रोसीन का इस्तेमाल करते हैं उसी तरह देश की समस्याओं के समाधान के लिए लोगों को ‘मोदीसीन’ दवा का इस्तेमाल करना होगा. ‘मोदीसीन’ की एक खुराक ही सारी समस्या का इलाज कर देगी.’’ सर्वप्रथम तो आपको इस नयी खोज के लिए ढेरों बधाइयां. हां, अगर आप यह भी बता देते कि यह खोज आपने खुद की या इसमें किसी और (विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने भी आपकी मदद की, तो अच्छा होता. फिर भी बधाई तो बनती है. अब बात मुद्दे की. अगर मेरा ‘अल्प-ज्ञान’ सही है तो आपका यह बयान जनसभा में उपस्थित लोगों को आश्वस्त करने के लिए नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी का महिमामंडन करने के लिए था. खैर, इसमें किसी को (सिवाय चुनाव आयोग के) ऐतराज क्यों होगा कि आप अपनी जनसभा में क्या बोलें और क्या न बोलें. फिर भी इस देश का आम नागरिक होने के नाते यह बंदा आपसे यह तो जानने का हक रखता ही है कि आपने या आपकी पार्टी भाजपा ने जिस ‘मोदीसीन’ की ईजाद की है वह किन-किन बीमारियों में असर करेगी. क्योंकि इन दिनों आपकी ही पार्टी के कई लोग ‘मोदियाबिंद’ से ग्रस्त हैं तो कइयों को ‘नमोनिया’ हो गया है. क्या इसका इस्तेमाल हताशा-निराशा से उबरने में भी हो सकता है? शायद 16 मई के बाद आपकी ही पार्टी के कई प्रत्याशियों को इसकी जरूरत पड़े. और हां, दरकिनार कर दिये गये भाजपा के कई सीनियर सिटीजन कैटेगरी के नेता इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय का चक्कर काट रहे हैं. राजनाथ जी, आप तो अध्यापक रहे हैं और कई दशकों से राजनीति में हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि अपनी पार्टी के इन नेताओं के बारे में भी सोचिये. आपकी पार्टी के ‘अच्छे दिन’ आयेंगे कि नहीं, यह तो 16 मई को मालूम चल जायेगा, पर इन बुजुर्गो के बचे-खुचे दिन ‘बदतर’ न हों, इसकी चिंता कौन करेगा? और हां, अगर आपको ऐतराज न हो तो एक सुझाव है- इस ‘मोदीसीन’ का पेटेंट अवश्य करा लीजिए. वरना कहीं अमेरिका की नजर इस पर पड़ गयी, तो क्या होगा, आपको पता ही है. अमेरिका जब हमारी हल्दी और नीम तक का पेटेंट करा सकता है, तो इस स्वदेशी ‘मोदीसीन’ को किसी सूरत में नहीं छोड़ेगा. इसलिए सब काम छोड़ कर पहले पेटेंट देनेवाले दफ्तर पहुंचिए.
उम्मीद है कि आप मेरी बातों को अन्यथा न लेंगे. धन्यवाद.
-एक (निचुड़ा हुआ) आम नागरिक
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