माननीय प्रधानमंत्री जी. आप देश की जनता से हर महीने मन की बात करते हैं. आज मैं भी अपने मन की कुछ बातें आपसे कहना चाहता हूं. यह जुमला तो आपने सुना ही होगा कि इस देश में तीन चीजें खूब बिकती हैं - सिनेमा, सेक्स और सियासत. पर अब यह जुमला पुराना हो गया. अब इस देश में जो तीन चीजें खूब चर्चित हैं वह है - गाय, गीता और गप. जरा गौर फरमायें तो ये तीनों चीजें भारतीय संस्कृति में सनातन काल से रची-बसी हैं. कोई भी इससे अनभिज्ञ नहीं. पर इन दिनों ये तीनों चीजें नये कारणाें से चर्चा में हैं. अचानक से इस देश में कई लोगों के लिए गाय महत्वपूर्ण हो गयी है. इतनी कि सियासत भी पाकिकस्तान से लौटी भारतीय बेटी गीता के मुकाबले गाय को ज्यादा तवज्जो दे रही. यही कारण है कि इसे लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के गपों का सिलसिला जारी है. जब कभी भी सोशल मीडिया पर गप का दौर तेज होता है सरकार के माथे पर पसीना आने लगता है.उसे तरह-तरह की चिंता सताने लगती है और फिर सोशल मीडिया पर पाबंदी और निगरानी जैसी कवायद शुरू हो जाती है.
आपको तो मालूम ही है कि हमारे देश में कई राज्य ऐसे हैं, जहां गाय को बिना अनुमति के नहीं मार सकते. लेकिन भैंसों को मार सकते हैं, उनका मांस खा सकते हैं और उनके चमड़ों से बैग बना सकते हैं. यहां तक कि एक गाय को मारने पर भारतीय दंड संहिता के मुताबिक शराब पीकर गाड़ी चलाने, छेड़छाड़, किसी को गंभीर चोट पहुंचाने या इनकम टैक्स चोरी जैसे अपराधों से कहीं ज्यादा सजा मिलेगी- वहीं बिना पलक झपकाए एक भैंस को मार सकते हैं. क्या गाय महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है. मार्च 2015 में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने लोकसभा में बताया था कि महिलाओं पर बलात्कार और हमलों के मामलों में इजाफा हुआ है. महिलाओं और बच्चों के प्रति यौनहिंसा, दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रति जातीय हिंसा की बढ़ती घटनाएं क्या कम महत्वपूर्ण है. क्या इंसान पशुओं से भी ज्यादा बदतर है?
एक बात और, गीता को जब पाकिस्तान में लावारिस हालत में पाया गया तो सबसे पहले उसे लाहौर के अनाथालय में भेज दिया गया. मूक-बधिर इस बच्ची को वहां नाम दिया गया फातिमा. कुछ दिन बाद इस बच्ची को वहां से ईधी फाउंडेशन के सदस्य और बिलकीस के पुत्र फैजल अपने साथ कराची ले आए. पहली बार जब उन्होंने उस बच्ची को अपनी मां बिलकीस से मिलवाया तो उसनेे हाथ जोड़े और बिलकीस के पैर छुए. बिलकीस तुरंत बोल पड़ीं कि यह बच्ची तो हिंदू है. और उन्होंने तुरंत उसका नाम फातिमा से बदलकर गीता रख दिया. यह वाकया यह बताने के लिए काफी है कि पड़ोसी मुल्क या दुनिया के दूसरे देश भारतीय संस्कृति के बारे में कितनी बारीक जानकारी रखते हैं, इसके बारे में कितना जानते हैं. तो क्यों न अब हम उन्हें अपने बारे में कुछ और भी बतायें. और हां, गप की चिंता न करें तो ही अच्छा. कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना...!
आपको तो मालूम ही है कि हमारे देश में कई राज्य ऐसे हैं, जहां गाय को बिना अनुमति के नहीं मार सकते. लेकिन भैंसों को मार सकते हैं, उनका मांस खा सकते हैं और उनके चमड़ों से बैग बना सकते हैं. यहां तक कि एक गाय को मारने पर भारतीय दंड संहिता के मुताबिक शराब पीकर गाड़ी चलाने, छेड़छाड़, किसी को गंभीर चोट पहुंचाने या इनकम टैक्स चोरी जैसे अपराधों से कहीं ज्यादा सजा मिलेगी- वहीं बिना पलक झपकाए एक भैंस को मार सकते हैं. क्या गाय महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है. मार्च 2015 में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने लोकसभा में बताया था कि महिलाओं पर बलात्कार और हमलों के मामलों में इजाफा हुआ है. महिलाओं और बच्चों के प्रति यौनहिंसा, दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रति जातीय हिंसा की बढ़ती घटनाएं क्या कम महत्वपूर्ण है. क्या इंसान पशुओं से भी ज्यादा बदतर है?
एक बात और, गीता को जब पाकिस्तान में लावारिस हालत में पाया गया तो सबसे पहले उसे लाहौर के अनाथालय में भेज दिया गया. मूक-बधिर इस बच्ची को वहां नाम दिया गया फातिमा. कुछ दिन बाद इस बच्ची को वहां से ईधी फाउंडेशन के सदस्य और बिलकीस के पुत्र फैजल अपने साथ कराची ले आए. पहली बार जब उन्होंने उस बच्ची को अपनी मां बिलकीस से मिलवाया तो उसनेे हाथ जोड़े और बिलकीस के पैर छुए. बिलकीस तुरंत बोल पड़ीं कि यह बच्ची तो हिंदू है. और उन्होंने तुरंत उसका नाम फातिमा से बदलकर गीता रख दिया. यह वाकया यह बताने के लिए काफी है कि पड़ोसी मुल्क या दुनिया के दूसरे देश भारतीय संस्कृति के बारे में कितनी बारीक जानकारी रखते हैं, इसके बारे में कितना जानते हैं. तो क्यों न अब हम उन्हें अपने बारे में कुछ और भी बतायें. और हां, गप की चिंता न करें तो ही अच्छा. कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना...!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-11-2015) को "एक समय का कीजिए, दिन में अब उपवास" (चर्चा अंक 2153) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ह्रदय से आभार आपका
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