सोमवार, 28 मार्च 2016

ओ मेरी गौरेया

फूदक-फूदक कर
आंगन में
करती ता-ता थैय्या
ओ मेरी गौरैया...
बचपन के दिन हों
या अब के
है तू वैसी की वैसी
तुझे दिखा दादी कहती थी
मुझको बाबू-भैय्या
ओ मेरी गौरेया...
मोबाइल से फोटो खींचे
बिस्किट तुझे खिलाती
मेरी बेटी
नित दिन तुझको
कहती सोन चिरैय्या
ओ मेरी गौरेया...
तेरा आना
तेरा गाना
मुझको बहुत सुहाये
तेरे बिन झुठा लागे
शोहरत व रुपैय्या
ओ मेरी गौरेया...
आती रहे तू
गाती रहे तू
हम सबको
चाहे सताती रहे तू
तू है मेरी मैय्या
ओ मेरी गौरेया...
खबरदार सबको
कोई न बोले
ढीठ चिरैय्या
ओ मेरी गौरेया...
- अखिलेश्वर पांडेय

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31 - 03 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2298 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. अब तो गोरिया के भी दर्शन दुर्लभ हो गए हैं |उम्दा प्रस्तिती |

    जवाब देंहटाएं