गुरुवार, 26 अप्रैल 2012
गोया शादीशुदा होना कोई गुनाह हो
अहले सुबह ‘सात बजे’ मेरे एक अजीज मित्र का फोन आया. मैं गहरी नींद में था. मैं अभी ‘हेलो’ बोलता उससे पहले ही वह उधर से शुरू हो गया. बोला, तुमलोग क्या लट-पट खबर छापते रहते हो. सुबह-सुबह मूड खराब कर दिया.
अब तक मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया था. कभी-कभार मिस्ड कॉल करने वाला बंदा आज इतना सुबह फोन कैसे कर दिया. और तो और गुस्सा इतना कि उसे यह भी याद नहीं कि कॉल लंबा हुआ जा रहा है. अब तक शायद उसके डेढ-पौने दो रुपये तो खर्च हो ही गये होंगे. मामला समझ से परे था. अब मेरे अंदर भय का प्रवेशीकरण हो चुका था. मैं यह तय मानने लगा था कि भईया आज तो मेरी खैर नहीं.
मैंने थोड़ा संभलते हुए पूछा ‘क्या बात हो गई?’
‘बात क्या होगी? तुम तो लंबी तान के सो रहे हो. अरे निक्कमे, खबर छापते वक्त यह भी सोचते हो कि इसका लोगों पर असर क्या होगा?’
मैंने पूछा, किस खबर की बात कर रहे हो भाई?
‘केंद्र सरकार के नये नियम के मुताबिक अब शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. यानि, अब शादी-विवाह भी सरकार से पूछ कर करना होगा. यह तो हद हो गई. जिस देश में शादी पहले से ही एक समस्या हो वहां इस पर इतना कायदे-कानून बनाना कहां तक व्यवहारिक है. तुमलोग इस बारे में भी कुछ छापोगे या नहीं?
मुङो तो अब अंदर ही अंदर हंसी आने लगी थी. मैंने खुद पर काफी कंट्रोल किया फिर भी मुंह से बरबस ही निकल गया ‘बस इतनी सी बात है. इसके लिए सुबह-सुबह नींद खराब कर दी.’
‘इतनी सी बात. यह तुम्हें इतनी सी बात लग रही है. अच्छा, मैं तो भूल ही गया था तुम्हारी तो शादी हो चुकी है न. तुम्हें क्या फर्क पड़ता है. भइल बियाह मोर करबे का. तुम तो यह भी भूल गये होगे कि मैंने तुम्हारी शादी में रू माल का बीन बनाकर धूल-मिट्टी की परवाह किये बगैर रोड पर लोट-लोट कर नागिन डांस किया था. कमबख्त मेरा सफेद सफारी सूट ऐसा गंदा हुआ कि ड्राई क्लीन वाला भी फादर-फादर कर गया पर दाग न गया. तुम्हें तो यह भी याद नहीं होगा कि मैंने अपने पिताजी की परवाह किये बगैर मेरे यार की शादी है गाने पर ऑरकेस्ट्रा वाली लड़की के साथ खुलेआम डांस किया था. खैर तुम यह सब क्यों याद रखोगे. बिना शादी के बैंड तो मेरी बज रही है न. तुम तो बस सोते रहो.’
मैं अब बचाव की मुद्रा में आ गया.‘भाई मेरे इतना मत भड़को. बात अगर नाचने की है तो मैं भी चिकनी चमेली और मुन्नी बदनाम गाने पर लोट-लोट कर नाचूंगा. शादी तो करो..’
बात अधूरी ही रह गयी क्योंकि मोबाइल डिस्चार्ज हो कर स्वीच ऑफ हो गया. मानो वह भी मेरे मित्र का फेवर कर रहा हो. गोया शादीशुदा होना कोई गुनाह हो.
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इस तरह के शानदार व्यंग्य तुम जैसे शादीशुदा ही लिख सकते हैं। दरअसल यह तुम्हारी व्यथा कथा है। शायद भाभी से प्रेरणा मिली है।
जवाब देंहटाएंGUNAAH HI HAI .......
जवाब देंहटाएंGUNAAH HI HAI .......
जवाब देंहटाएंशानदार व्यंग्य
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