शनिवार, 27 दिसंबर 2014

उत्सवधर्मिता को जीता है जमशेदपुर

यह शहर शानदार है. यहां के लोग अपनी विरासत और संस्कृति का सम्मान करते हैं और दूसरे के साथ इसे साझा करते हुए उसे भी अपने साथ शामिल कर लेते हैं. त्योहारों के केंद्र में कुछ लोगों के लिए भले ही धार्मिक मान्यताओं का महत्व होता हो पर एक बड़ा तबका ऐसा भी है, जो उत्सवधर्मिता को जीता है. दुर्गा पूजा से लेकर, ईद तक. दीवाली से लेकर गुरुपर्व तक. टुसू में भी यह शहर उतना ही शरीक होता है जितना रामनवमी और मुहर्रम के जुलूस में. लगता है यहां की नागरिकता उत्सवधर्मिता से बनी है.
  अभी जमशेदपुर क्रिसमस के जश्न में डूबा है. गली-मोहल्ले की छोटी-छोटी दुकानें भी क्रिसमस के गिफ्ट (चॉकलेट, सांताक्लाज, क्रिसमस ट्री आदि) से सजी हुई हैं. तरह-तरह की टोपियां बिक रही हैं. किराने की दुकान और जनरल स्टोर तक विभिन्न वेराइटी के केक से भरे पड़े हैं. कुछ गिने-चुने लोगों के लिए क्रि समस का मतलब भले ही सिर्फ सरकारी छुट्टी भर रह गया हो पर जमशेदपुर के व्यवहार में क्रि समस सिर्फ ईसाई धर्म के अनुयायियों का त्योहार नहीं है. छठ, होली और पोंगल की तरह क्रि समस भी सबका है. राजनीति में हर बात भले ही राज सत्ता से तय होती हो लेकिन जमशेदपुर के लोगों ने ‘गुड गवर्नेंस’ के साथ-साथ ‘गुड क्रि समस’ भी मनाया. विशेषकर बच्चों के उत्साह से क्रि समस भी अन्य त्योहारों की तरह हो गया है. गोलमुरी स्थित चर्च में प्रभु यीशु को चरनी में देखने वालों की कतार में ललाट पर चंदन लगाये पंडित जी भी हैं और गाढ़ा नारंगी रंग की पगड़ी बांधे अपने बच्चे का हाथ पकड़े सरदार जी भी. हर किसी की आंखों में वही चमक, वही कौतुहल. कोई भेदभाव नहीं, वही पवित्रता. यही दृश्य सभी गिरिजाघरों की है.
  उत्सव कोई भी हो, खाना-पीना जमशेदपुरवासियों की पहली पसंद होती है. बंगाली ब्रिगेड के लिए तो गोलगप्पा के बिना हर उत्सव अधूरा है. इडली-डोसा, चाट, पकौड़ी और नान वेज के शौकीनों की भी कमी नहीं है. जुबिली पार्क के गेट नंबर दो से निकलते ही स्ट्रीट फूड के कतारों की फेहरिश्त में उपरोक्त व्यंजनों के अलावा प्रॉन फिंगर, मोमो, चाउमिन, हॉट डॉग और लिट्टी-चोखा खाने के लिए यूथ ब्रिगेड की होड़ लगी है.  इस भीड़ में न तो कोई हिंदू समझ में आ रहा है, न ही मुसलिम और ईसाई. सब खूबसूरत और संतुष्ट लग रहे हैं. हर कोई खुश है. इस खुशी के केंद्र में क्रिसमस है. ऐसा क्रिसमस जो प्रेम और सौहार्द लेकर आया है. बनावटी नहीं सच्च. थोड़े ही दिन में नया साल भी आने वाला है. जुबिली पार्क में पिकनिक, मिलना-जुलना चलता रहेगा.. इस साल से अगले साल तक. सच्चे मन से सालों-साल तक. प्रार्थना है कि हमारा जमशेदपुर सदैव ऐसा ही बना रहे. कोई ‘परिवर्तन’ न हो. हर उत्सव में, हर त्योहार में, हर व्यवहार में. हर साल में-हर हाल में. 

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