शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

यह कैसा समय है!

अटालिकाओं की छाया ने
हमें बौना बना दिया है
मल्टीप्लेक्स ने छिन ली हमारी मासूमियत
हैरी पॉटर को उड़ान भरते देख
रोमांचित होते हैं हम
बच्चों को खेलने से रोकते हैं
मशीनों की शोर में
दब गयी है भाषा
बंजर हो गयी है
हमारी भावभूमि
अब उगते नहीं उसपर
सुविचार.

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