सुना मैंने तुम्हें
पर वैसे नहीं
जैसे तुम कहना चाहती थी
कोशिश की मैंने बहुत
पर कम नहीं कर पाया अहम
आंखे झुका कर
नजरें गड़ा कर
सुनता रहा तुम्हें
जैसे तुम कहना चाहती थी
कोशिश की मैंने बहुत
पर कम नहीं कर पाया अहम
आंखे झुका कर
नजरें गड़ा कर
सुनता रहा तुम्हें
तुम बोलती रही
मैं विचरता रहा
बिस्तर की उन सलवटों में
जो छोड़ आयी थी तुम
उस अंधेरे कमरे में
सहलाते हुए अपनी पीठ
मैं महसूस करता रहा
तुम्हारे नर्म हाथों की छूअन
बिखरे बालों को सहलाते हुए
सुना मैंने तुम्हे
मैं विचरता रहा
बिस्तर की उन सलवटों में
जो छोड़ आयी थी तुम
उस अंधेरे कमरे में
सहलाते हुए अपनी पीठ
मैं महसूस करता रहा
तुम्हारे नर्म हाथों की छूअन
बिखरे बालों को सहलाते हुए
सुना मैंने तुम्हे
तुम बोलती रही
मैं सोचता रहा
तुम्हारी हर हर्फ का
कोई अलहदा मतलब
तुम्हारी सोच से परे
मैं था वहीं
तुम्हारे पास
जब तुम बोल रही थी
मैं सुन नहीं पाया वह
जो तुम कहना चाहती थी.
मैं सोचता रहा
तुम्हारी हर हर्फ का
कोई अलहदा मतलब
तुम्हारी सोच से परे
मैं था वहीं
तुम्हारे पास
जब तुम बोल रही थी
मैं सुन नहीं पाया वह
जो तुम कहना चाहती थी.
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