सोमवार, 26 नवंबर 2012

आम आदमी (मैंगो मैन) की खास बातें

भले ही ‘खास’ लोगों की नजर में आम आदमी यानी ‘मैंगो मैन’ की कोई औकात नहीं होती हो, पर मुङो लगता है कि ‘मैंगो मैन’ होना कोई आसान बात नहीं है. अब देखिए न! अपनी गाढ़ी कमाई और काफी जुगाड़-जतन से जो उसने कभी रसोई गैस का कनेक्शन लिया था, उसका पंजीकरण बचाने के लिए अनिवार्य किये गये केवाईसी फॉर्म भरने के बाद वह खुद को ऐसा गौरवान्वित महसूस करता है मानो उसने केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) का एंट्री फॉर्म भर दिया हो. फ्री में मिलने वाला केवाईसी फॉर्म भी वह बगल की फोटोकॉपी सेंटर से पांच रुपये में खुशी-खुशी खरीदता है. जब उसे पता चलता है कि इस फॉर्म पर तो फोटो भी चिपकाना है, तो उसकी बांछे खिल उठती हैं. हां भई! आखिरी फोटो उसने शादी में खिंचवाई थी, जो अब घर के किसी कोने में पड़े-पड़े रंग से बदरंग हो चुकी है. अब फोटो स्टूडियो वाले की अपनी मरजी. वह भी सिर्फ एक फोटो तो खींचेगा नहीं. बोला- देखो जी! तीस रुपये में तीन फोटो दूंगा.‘मैंगो मैन’ खुश हो गया. इसी बहाने दो फोटो एक्सट्रा हो जायेंगे.

छठ-दीपावली मनाने लोगबाग अपने-अपने घर आये हुए हैं. कोलकाता-मुंबई हो या दिल्ली. बिहार आने-जाने वाली सभी ट्रेनें ठसाठस भरी हुई हैं. वैसे यह कालजयी परंपरा है. क्योंकि ‘मैंगो मैन’ ट्रेन में रिजव्रेशन (आरक्षण) नहीं करवाता. भई! ट्रेन हुई सार्वजनिक संपत्ति. मतलब जितनी तेरी उतनी ही मेरी तो भला इसमें आरक्षण क्या करवाना? वैसे भी ट्रेनों में जब तक भीड़ न हो सफर का मजा अधूरा रह जाता है. और जिसने बर्थ आरक्षित करा ही रखी है, उसको ही कौन से मजे आ रहे हैं. वह बेचारा किनारे हो कर दुबक कर बैठा है. बिना टिकट वाला उसी की बर्थ पर सो रहा है. आखिर छठ मइया का ठेकुआ खाना इतना आसान थोड़े ही न है!

‘मैंगो मैन’ की अपनी कुछ खासियत होती है. उसे सपने भी भीड़भाड़ के ही आते हैं. जैसे राशन के लिए लाइन लगा कर खड़ा है. बीमार बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल में अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा है. रेलवे स्टेशन पर शौचालय का उपयोग करने के लिए सात लोगों के पीछे शांत हो कर पंक्तिबद्ध है..आदि-आदि. जब कोई ‘मैंगो मैन’ एक साथ इतनी जद्दोजहद कर रहा हो, तो वह भला खुद को स्विट्जरलैंड की वादियों में कटरीना कैफ के साथ गाना गाते हुए कैसे देख सकता है?

उसे तो सब्जी से लेकर शादी तक में सब्सिडी हासिल करने की लड़ाई लड़नी पड़ती है. घर से हजार-दो हजार किलोमीटर दूर रहनेवाला ‘मैंगो मैन’ ठेकुआ खाने के लिए छठ मइया के घाट पर नंगे पांव पहुंचता है. क्या यह खास बात नहीं है? इसीलिए ‘मैंगो मैन’ खास है.

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