शीघ्र ही यूपी में ग्राम पंचायतों की बंजर भूमि पर बायो ऊर्जा मिशन की योजना के तहत तीस जिलों में जेटरोफा की खेती की जाएगी। दावा यह किया जा रहा है कि जेटरोफा की खेती से एक तरफ जहां बायो डीजल बनेगा वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी क्योंकि इससे लोगों को रोजगार मिलेगा। पहले चरण में अलीगढ, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, एटा, कन्नौज, हरदोई, कानपुर नगर व कानपुर देहात, ललितपुर, झांसी, औरैया, हमीरपुर, प्रतापगढ, चित्रकुट, कौशांबी, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र जिलों को चुना गया है। बंजर भूमि में इसे पनपने के लिए सामान्य से भी कम नमी की आवश्यकता होती है।
गौरतलब यह है कि धान व गेहूं की उपज के लिए पूरे देश में विख्यात यूपी में अगर इस तरह से जेटरोफा को अत्यधिक कमाऊ फसल के रुप में प्रोजेक्ट किया जाएगा तो बाकी फसलों का क्या होगा। क्या यह मल्टीनेशनल कंपनियों की साजिश नहीं है। मालूम हो कि इससे पूर्व एप्लाइड सिस्टम एवं ग्रामीण विकास संस्था गौतमबुद़धनगर के दनकौर व जेवर क्षेत्र में यह प्रयास कर चुकी है पर लोगों ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। बावजूद इसके जेटरोफा को किसानों पर लादने का प्रयास किया जा रहा है। यानि, जेटरोफा उगाइये और खाने के लिए गेहूं-चावल खरीदिए।
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