यह महज इत्तेफाक नहीं तो क्या है कि इस चुनाव में जिस प्रत्याशी के उपर भी जूते फेंके गए वह जीत गया। गृहमंत्री पी चिदंबरम, लालकृष्ण आडवाणी और नवीन जिंदल ये सभी चुनाव जीत गए। इन सभी पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान या चुनाव प्रचार के दौरान जूते फेंके गए थे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर भी जूते उछाले गए थे पर वे इस बार चुनाव लडे ही नहीं, हां उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने पूरे देश में शानदार सफलता हासिल की। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदिरप्पा पर भी जूते फेंके गए थे। येदिरप्पा भी अपने पुत्र बी वाई राघवेंद्र को चुनाव जिताने में सफल रहे हैं।
जूता फेंकने की शुरुआत पत्रकार जरनैल सिंह ने की। जरनैल ने आठ अप्रैल को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान गृहमंत्री पी चिदंबरम पर जूता उछाला था।
है न यह कमाल का संयोग। मगर यह जानकर कहीं हारने वाले प्रत्याशी यह न सोचने लगें कि काश मुझपर भी कोई...
... हा...हा...हा।
काश मुझपर भी कोई.....जूता फेक देता.
जवाब देंहटाएंअब सही है :)
वीनस केसरी
हा..हा..हा...हा..हा..हा...हा..हा..हा...हा..हा..हा...हा..हा..हा...हा..हा..हा...
जवाब देंहटाएंसही है :)
जवाब देंहटाएं... जूते तो जूते हैं, जीत अपनी जगह है!!!!
जवाब देंहटाएंअसली जूता जिन पर पड़ा है, उन का क्या?
जवाब देंहटाएंजय हो! जूता चल गया।
जवाब देंहटाएंहर क्रिया की एक विपरीत प्रतिक्रिया तो होती ही है .. बधाई सबों को।
जवाब देंहटाएंHo sakta hai ki aapka sichana sahi ho
जवाब देंहटाएंजूते के शिकार सभी प्रत्याशी विजयी ....बहुत खूब....!!
जवाब देंहटाएंयह तो कमाल का संयोग है ... शायद अब जूतों का प्रचलन और बढ़ जाये .....!!
[हाँ ...आपका कमेन्ट...." कविता कुछ अधूरी सी लगी..." सही है ...दुविधाओं के बीच लिखी नज़्म मुकम्मल कैसे हो सकती है.....]
जूता फेंकने की शुरूआत जरनैल सिंह ने की, और जूता खाकर जीतने वालों में शुरूआत नवीन जिंदल ने की. अगर ये आकलन नेताओं तक पहुंच गया तो अगली बार जूतों की नेता ही बौछार करवाएंगे.
जवाब देंहटाएंजूते का मन्दिर न बनने लगे! भारत में जो चले उसकी पूजा होने लगती है।
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