आदमी झूठ बोले बिना क्यों नहीं रह सकता। क्या वह नहीं जानता कि झूठ बुरा होता है। इस बुराई के अहसास के बावजूद झूठ बोलने का दबाव कहां से आता है-
दरअसल, जब तक सच अपने जूतों के फीते बांध रहा होता है तब तक झूठ आधी दुनिया का चक्कर काट चुका होता है। यानी झूठ, सच से तेज चलता है। हिटलर का मानना था कि यदि किसी झूठ को सौ बार बोला जाए तो उसे लोग सच मानने लगते हैं। वहीं 19वीं शताब्दी के प्रसिद्ध दार्शनिक शापेनटार के अनुसार हर सच को तीन स्तर से गुजरना पडता है। पहली बार में उसका मजाक बनाया जाता है। दूसरी बार उसे दबाने की कोशिश की जाती है आखिर में उसे प्रमाण के रुप में स्वीकार कर लिया जाता है। लेकिन क्या सच, जिसे ईश्वर का रुप माना जाता है उसके कोई मायने नहीं। झूठ सच से बडा होता है या फिर लोग झूठ किसी दबाव में बोलते हैं। या यूं कहें कि झूठ बोलना इंसान की फितरत ही है। आखिर झूठ और सच के बीच की केमिस्ट्री क्या है।
वैज्ञानिकों के अनुसार तो आदमी 4-5 वर्ष की उम्र से ही सच और झूठ में अंतर समझने लगता है। इसी उम्र से वह सच के साथ झूठ बोलने की कला में प्राकृतिक रुप से पारंगत हो जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे बचपन में मिट़टी खाने की बात, पिटाई का डर या फिर किसी लालच में झूठ बोलना। यही परिस्थितियां बाद में व्यक्ति को अपनी-अपनी जरुरतों के अनुसार झूठ बोलना सिखा देती हैं।
किसी की भलाई के लिए बोला गया झूठ, सच से बडा होता है। कई बार हमें किसी व्यक्ति की गलती से किए गए दोष या किसी टूटते रिश्ते को बचाने के लिए झूठ का सहारा लेना पडता है। झूठ की वजहों के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि लोग अक्सर अपनी उम्र, व्यवहार, जाति, तनख्वाह, रिश्तों को लेकर झूठ बोलते हैं।
रिश्तों में झूठ अक्सर स्थिति को नियंत्रण करने का एक तरीका भी माना गया है। अधिकांश लोग रिश्तों में झूठ, सच से मिलने वाली प्रतिक्रिया से बचने के लिए देते हैं। जहां झूठ, रिश्ते की डोर का एक छोर है वहीं गुस्सा और उसकी प्रतिक्रिया उसका दूसरा छोर।
सच में झूठ झूठ में सच का अच्छा लगा प्रयास।
जवाब देंहटाएंबचपन से ही इस अन्तर का होता है एहसास।।
सादर
श्यामल सुमन
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किसी की भलाई के लिए बोला गया झूठ, सच से बडा होता है।
जवाब देंहटाएं-बिल्कुल सही!!
झूठ बोलना तो सामान्यत: आदत की बात है।
जवाब देंहटाएं100 baar bola jhuth sach ban jata hai....waise kafi achha laga apki post pad ke....
जवाब देंहटाएंजीवन की आवश्यकता ओर व्यक्तिगत स्वार्थ सभी से झूठ बुलवाते है...
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