शुक्रवार, 29 मई 2009

आइला रे... बेटियों के प्रति इतनी नफरत

दोस्‍तों, कहने को तो हम कई मामले में अफलातून हो गए हैं। विज्ञान से खलिहान तक तरक्‍की के नये-नये आयाम कायम कर लिये हैं। पर आज भी हमारे समाज के किसी कोने से कई ऐसी घटनाएं उजागर होती रहती हैं जो हमारे सभ्‍य होने और तरक्‍की के दावे को पलभर में झूठला देती हैं।

उडीसा के कटक में भुवनेश्‍वर नामक एक युवक ने अपनी 11 महीने की बेटी को इसलिए मार डाला क्‍योंकि वह बेटा चाहता था। जबसे उसे बेटी पैदा हुई वह अपनी पत्‍नी जूली को भी नापसंद करने लगा। अक्‍सर वह उससे लडाई-झगडा भी करता। इसीलिए जूली अपनी बेटी को लेकर अपने मायके चली गई। भुवनेश्‍वर का गुस्‍सा तब भी शांत नहीं हुआ और वह वहां भी जा पहुंचा। मायके वाले और जूली दोनों ही नहीं चाहते थे कि भुवनेश्‍वर उन्‍हें ले जाए। यह बात भुवनेश्‍वर बर्दाश्‍त नहीं कर पाया और रात के अंधेरे में सो रही जूली के गोद से अपनी दूधमुंही बच्‍ची को उठा ले गया। सुबह जूली की जब आंख खुली तो बच्‍ची उसके बिस्‍तर पर नहीं थी। पूरे घर में छानबिन की गई। पता चला कि भुवनेश्‍वर भी गायब है। थोडी देर में घर के पिछवाडे में बच्‍ची की सिर कटी लाश मिली।


ऐसे न जाने कितने भुवनेश्‍वर हमारे समाज में आज भी हैं। जो बेटियों को जिंदा नहीं देखना चाहते भले ही वह उनके ही घर में क्‍यों न पैदा हुई हो। ऐसे लोग न सिर्फ बेटियों के दुश्‍मन हैं बल्कि पूरी इंसानियत के नाम पर कलंक हैं। दुखी मन तो यह कहता है कि बंगाल में हाल में ही आए आइला नामक चक्रवाती तुफान केवल इन दरिंदों को ही क्‍यों नहीं डूबो व बहा ले जाता। आखिर बेटियों के प्रति इतनी नफरत क्‍यों...

7 टिप्‍पणियां:

  1. यह एक सामाजिक कलंक है। इस के लिए सामाजिक मूल्यों को बदलने की आवश्यकता है। नए मूल्यों की स्थापना कि बिना पुराने स्थापित मूल्य स्थान नहीं छोड़ते।

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  2. क्या कहूँ ऐसे नर पिशाचों के बारे में? दुखद सत्य।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  3. ये कलंकी उड़ीसा नहीं, सर्वव्यापक है!

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  4. betiyon ki hifazat ke vaaste ham aapke saath hai..

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  5. यहीं तो नारी को पूजा जाता है, सर काटकर, मारपीटकर आदि आदि।
    घुघूती बासूती

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  6. दुखी मन तो यह कहता है कि बंगाल में हाल में ही आए आइला नामक चक्रवाती तुफान केवल इन दरिंदों को ही क्‍यों नहीं डूबो व बहा ले जाता। आखिर बेटियों के प्रति इतनी नफरत क्‍यों...

    Aaye din aise ghatnayein sunkar ya dekhkar dil bahut dukhi hota hai.
    Aapli बेटियों के प्रति itni achhi soch dekhakar bahut achha laga. Bahut achha article, Badhai
    Likhate rahiye.

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