स्त्री-शरीर के साथ शुचिता का जो तमगा लटका दिया गया है (पुरुष जिससे पूरी तरह मुक्त है), उससे स्त्री को मुक्त होना ही होगा। विधवा, तलाकशुदा, बलात्कार की शिकार स्त्रियां दूसरे पुरुष के लिए क्यों त्याज्य हैं? सच पूछा जाये तो यह समस्या स्त्रियों से ज्यादा पुरुषों की है, क्यों कि स्त्री-पुरुष को लेकर पाक-पवित्र की धारणाएं तो उनके मन में ही जड़ें जमाए बैठी हैं। यहां मेरा अभिप्राय उन स्त्रियों से नहीं है जो देह की स्वतंत्रता की आड़ में देह के बल पर अपनी महत्वाकांक्षाओं की सीढिय़ां चढ़ती हैं। कास्टिंग काउच को बढ़ावा देने में ऐसे स्त्रियों की भूमिका ज्यादा संदिग्ध है।मैं इस बात को सिरे से खारिज करता हूं कि - सेक्स की स्वतंत्रता ही स्त्री की असली स्वतंत्रता है। फिर तो यह सवाल भी उठना चाहिए कि सेक्स की स्वतंत्रता का मतलब क्या है? इसका स्वरूप क्या होगा और हमारे समय और समाज के संदर्भ में क्या इसकी कोई संभावना भी है? क्योंकि अभी तक या तो वेश्याएं इस स्वतंत्रता का उपभोग करती रही हैं या फिर जानवर।
सवाल जटिल है। जवाब आसानी से नहीं मिलने वाले। मगर चर्चा जारी रहनी चाहिए। हां, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बाद भी...
pandey ji
जवाब देंहटाएंvidhva talakshuda aur balatkar ki shikar striyon ki samasya purushon ki nahin striyon ki hi hai. kisi purush ke kai striyon ke sath sambandh jayaj hain. striyan yadi esa karati hain to sawaal kyoan?
r.n.dwivedi
apki soch mein gahrai hai aap to samaj ko uska chehra dikha rahe ho magar vo dekhna hi nahi chahta. afsos
जवाब देंहटाएंkaphi behtar likhte hai aap . apki soch mein gahrai hai aap to samaj ko uska chehra dikha rahe ho magar vo dekhna hi nahi chahta. afsos
जवाब देंहटाएंविचार आपका सोचनीय है लेकिन इसके पीछे महिलाओ की स्वतंत्रता को तो परिभाषित किया जाना चाहिए । केवल महिला दिवस और महिलाओ के अधिकार से पिंड छुड़ाने से काम नही चलेगा । चचाॆ किया है लेकिन सही रास्ता नही बतलाया है शायद लगता है कि केवल महिलाओ को ढ़गने के लिए लिखा गया है । फिर नारी स्वतंत्रता से आप हासिल क्या करना चाहते है । थोड़ा और भी जानू । अच्छी बहस है शुक्रिया
जवाब देंहटाएंaapke vichar swatantra stri-shakti ka manobal badhane mein sahayak sidh honge aisa vishwas hai
जवाब देंहटाएंbodhi satva kastooriya