गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ़तार किया है, जो खुद को महात्मा गांधी बताकर लोकतंत्र व मतदान का विरोध कर रहा था। सफेद धोती, गले में लटकी जेब घडी और हाथ में लाठी। आंखों पर गोल ऐनक वाला चश्मा यानि, पूरा का पूरा लूक महात्मा गांधी का। यह गांधी पिछले कई दिनों से शहर में है और जगह-जगह पोस्टर और पंपलेट की मदद से लोकतंत्र व मतदान का विरोध कर रहा है। इसका कहना है कि गंदी व भ्रष्ट राजनीति का शुदि़धकरण करने के लिए आवश्यक है कि लोगों को तब तक मतदान का बहिष्कार करना चाहिए, जब तक कि एक स्वच्छ व न्याय संगत लोकतंत्र की स्थापना नहीं हो जाती। स्वच्छ लोकतंत्र के आने तक देश में राष्ट्रपति शासन रहना चाहिए।
महात्मा ग्रांधी के इस आधुनिक संस्करण की पहचान मूल रुप से मथुरा निवासी डाक्टर महेश चतुर्वेदी के रुप में हुई। मनोविज्ञान में शोध कर चुके महेश चतुर्वेदी कुछ महीने पहले तक हरिद़वार स्थित बीएचईएल कंपनी में बतौर प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। किसी वजह से उन्होंने यह नौकरी छोड दी। चतुर्वेदी का कहना है कि वे पूर्व में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड चुके हैं। डा महेश खुद को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पुर्नजन्म बताते हैं।
ऐसे शख्स की गिरफ्तारी का कोई मतलब नहीं समझ पाता और न ही मनोविज्ञान में शोध कर चुके डॉक्टर साहब की ये सनक समझ में आती है... आखिर ये तय कैसे होगा कि लोकतंत्र स्वच्छ या न्यायसंगत हो चुका है?
जवाब देंहटाएंऐसे सिरफिरे या आहत व्यक्ति इस देश में बहुतेरे हैं। किस-किस को गिरफ्तार कीजिएगा?
जवाब देंहटाएंसबके अपने तरीके है विरोध दर्ज करने के.
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी ...
जवाब देंहटाएंएक सोचक मुद्दा
जवाब देंहटाएंपर सोचेगा कौन
गांधी जी
या
गांधीगिरी के समर्थक
मुन्नाभाई।